Yamunotri Temple - यमुनोत्री मंदिर छोटे चार धामो में से एक है । यमुनोत्री मंदिर उतराखण्ड़ के उतरकाशी जिले मे 3291 मीटर की ऊंचाई पर गढवाल हिमालय के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है ।
यह मंदिर देवी यमुना को समर्पित एक हिंदु मंदिर है । मंदिर के समीप कालिंदी पर्वत पर 4421 मीटर की ऊंचाई पर यमुना नदी का उद्गम स्थल स्थित है ।
मंदिर के पास अनेक जल स्रोत है , जिसमें से एक सुर्यकुण्ड भी है जिसका पानी गरम रहता है ।
शीतकाल में मंदिर के कपाट बंद कर दिये जाते है , क्योंकी यह स्थान पुर्ण रूप से हिमाछांदित रहता है ।
Yamunotri History Hindi |
यमुनोत्री मंदिर का इतिहास - History of Yamunotri Temple in Hindi
यमुनोत्री मंदिर का निर्माण गढवाल नरेश प्रतापशाह द्वारा करवाया गया था । भुकम्प के दौरान मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था , जिसके बाद जयपुर की महारानी ने इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाया था । मंदिर के गर्भग्रह में देवी की काले संगमरमर की मुर्ति प्रतिष्ठित है ।
पौराणिक कथा के अनुसार इस स्थान पर असित मुनी का आश्रम था । पुराणो में देवी यमुना को सुर्यदेव की पुत्री बताया गया है । शास्त्रों में यमुनाजी को श्रीकृष्ण भगवान की पटरानी बताया गया है ।
मंदिर के पास सुर्यकुण्ड और गौरीकुण्ड स्थित है । सुर्यकुण्ड का जल गरम है और गौरीकुण्ड का जल शीतल है ।
महिमा -
पुराणों के अनुसार यमुनाजी के उद्गम स्थल से जल पीने से मनुष्य के पापमुक्त हो जाते है और सात पीढीयों तक पवित्र हो जाते है ।
जो मनुष्य यमुनोतरी धाम में आकर यमुनाजी के पवित्र जल में स्नान करते है और खरसाली जाकर शनिदेव के दर्शन करते है , उनके सभी कष्ट दुर हो जाते है । यमुनोतरी मे सुर्यकुण्ड , दिव्यशिला और विष्णुकुण्ड के स्पर्श मात्र से भक्तों के पाप धुल जाते है ।
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