पुरंदर का किला महाराष्ट्र के पुणे जिले स्थित एक ऐतिहासिक किला है । यह किला मराठा वीरों की शोर्यता का प्रतीक है । इस किले में शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी महाराज का जन्म हुआ था । यह शानदार और भव्य किला समुंद्रतल से 4472 फिट ऊंचा है । इस किले का नाम " पुरंदर " गाँव के नाम पर पड़ा है जो इसके समीप ही है ।
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Purandar Fort History in Hindi - पुरंदर किले का इतिहास
इस किले का इतिहास सैकड़ो वर्ष पुराना है । इतिहासकारो के अनुसार इस किले का निर्माण यादव राजाओं द्वारा करवाया गया था । पर्शियन राजाओ ने यादवों को हराकर पुरंदर का किला अपने अधिकार मे ले लिया ।
सन् 1350 में इस किले का पुन: निर्माण करवाया गया था । बीजापुर और अहमदनगर के बादशाह अपना शासनकार्य इसी किले से चलाते थे ।
सन् 1646 में मराठा सरदार छत्रपति शिवाजी महाराज ने पुरदंर पर हमला करके जीत लिया । इसी जीत के साथ शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की नींव रखी ।
सन् 1665 में मिर्जा राजा जयसिंह ने मुग़लों की सेना का नेतृत्व करते हुए पुरंदर किले पर हमला कर दिया और इसे मुगल़ साम्राज्य में मिला दिया । इस युध्द मे पुरंदर किले के किलेदार मुरारबाजी देशपांडे मुग़लो से लड़ते हुए शहीद हो गये । सन् 1665 में मुग़लो और शिवाजी महाराज के बीच प्रथम पुरंदर संधि हुई थी ।
सन् 1670 में शिवाजी ने पुरंदर किले पर पुन: अधिकार कर किया । सन् 1776 में मराठो़ और अंग्रजोके बीच द्वितीय पुरन्दर संधि हुई ।
सन् 1818 में अंग्रजो ने इस किले पर अधिकार कर लिया । द्वितीय विश्वयुध्द के दौरान इस किले में दुश्मनों के परिवार वालो को रखा जाता था ।
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